इक्शकु और आयुष्मान से मिलकर मुझे लगा
नहीं था कि ये दोनों दो ख़ूबसूरत लड़कियों में तब्दील हो सकते हैं. लेकिन
जब उनका दूसरा रूप देखा तो लगा कि शायद ये ही इनकी ज़िंदगी का बेहतरीन रूप
है.
पेशे से मानवाधिकार वकील 28 साल के इक्शकु और आयुष्मान कभी-कभी
अपने उस रूप में आते हैं जिसे वो सामने लाने से डरते रहे थे. डर था कि लोग
क्या कहेंगे!लेकिन अब उन्हें अपनी 'ड्रैग क्वीन' की ज़िंदगी से मोहब्बत है और इसे खुलकर अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाना चाहते हैं.
ड्रैग आर्टिस्ट अपने आप को पूरी तरह से दूसरे जेंडर में तब्दील कर लेते हैं. अगर कोई लड़की, लड़का बनकर परफॉर्म करती है तो उसे 'ड्रैग किंग' कहा जाता है और अगर लड़का लड़की बन कर परफॉर्म करे तो उसे 'ड्रैग क्वीन' कहा जाता है.
लेकिन ये कोई नुक्कड़ या घर-घर जाकर करने वाला डांस नहीं बल्कि, दिल्ली के बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और बार में किए जाने वाला अभिनय है.
आयुष्मान और इक्शकु जब दिल्ली के पॉश इलाके ग्रेटर कैलाश में परफॉर्म कर रहे थे तो एक पल के लिए नहीं लगा कि इनमें अपने स्त्रीत्व को लेकर कोई झिझक थी.
बार में बैठे लोगों की आंखें उन्हें देखकर टिमटिमा रही थीं और वे दोनों एक के बाद एक अंग्रेज़ी गानों पर परफॉर्म कर रहे थे.
आयुष्मान कहते हैं, "ड्रैग एक ज़रिया है समाज को बताने का कि जेंडर बहुत गंभीरता से लेने की चीज़ नहीं है. समाज इसे इतनी गंभीरता से लेता है कि उसने पुरुष और औरतों के लिए अलग-अलग नियम तय कर दिए हैं. इसी वजह से औरतों के साथ ज्यादतियां भी ज़्यादा होती हैं. ड्रैग आपको बताता है कि जेंडर सिर्फ़ एक रोल है जिसे कोई भी निभा सकता है."
इक्शकु इसे एलजीबीटी समुदाय के लिए ज़रूरी बताते हैं, "जब एलजीबीटी सोसाइटी के लोग हमारे ड्रैग परफॉर्मेंस पर कहते हैं कि हम उन्हें प्रेरणा देते हैं कि वे खुद को दुनिया के सामने ज़ाहिर कर सकें."
लेकिन ये सब शुरू से इतना आसान नहीं रहा. इन दोनों के लिए अपने अंदर के स्त्रीत्व को स्वीकार करना आसान नहीं था.
आयुष्मान कहते हैं,"जब हम छोटे थे तो डर लगता था कि अगर हमारे इस साइड का लोगों को पता चले तो हमें बहुत कुछ झेलना पड़ेगा. लेकिन ड्रैग की वजह से हम बहुत हद तक इस से बाहर आ पाए हैं. ड्रैग हमें आज़ादी देता है कि हम अपने अंदर की फेमिनिटी को पूरी तरह से जी सकें और शर्मिंदा बिल्कुल ना महसूस करें."
स्कूल की एक घटना आयुष्मान के ज़ेहन में कई साल बैठी रही. जब वे स्कूल में स्पोर्ट्स में ना जाकर थियेटर करने लगे तो एक दिन अभ्यास के दौरान उनके एक टीचर ने उनसे कहा कि ये 'जनाना हरकतें' मत किया करो.
"मैं कई सालों तक इस बात को दिमाग़ से निकाल नहीं पाया. मैंने फ़ैसला किया कि मुझे ऐसा कुछ नहीं करना है कि लोग मुझे ऐसा कुछ गंदा बोलें."
अपनी परफॉर्मेंस के लिए मेकअप करना इन दोनों ने यूट्यूब से सीखा. यहां तक कि अपने कपड़े भी इन्होंने खुद डिज़ाइन किये. लेकिन जब पहली बार अपने लिए हील्स खरीदने जूते की दुकान पर गए तो मज़ेदार घटना घटी.
आयुष्मान बताने लगे, "हमने हिम्मत कर सेल्समैन से हील्स दिखाने को कहा. उसके चेहरे से पता चल रहा था कि उसे अटपटा लगा. फिर भी उसने मेरे पैर के साइज़ की हील्स दिखाई और मैंने पहन कर एक बार ट्राइ करना चाहा. लेकिन मैं जैसे ही उन्हें पहनकर चला तो गिर गया और हील्स टूट गईं. वहां बैठे दूसरे ग्राहकों के चेहरे देख कर लग रहा था कि उन्हें भी गुस्सा आ रहा है कि ये लोग क्या कर रहे हैं. तो हम जल्दी-जल्दी टूटी हील्स खरीदकर ही वहां से निकल गए."
जब मैंने उनसे पूछा कि क्या वो दोनों कपल हैं तो दोनों हंसने लगे. उन्होंने कहा कि लोग कई बार गलती करते हैं कि वे दोनों एक कपल हैं लेकिन वे खुद को बहनें मानते हैं. वे ड्रैग सिस्टर्स हैं.
क्या मां-बाप के लिए स्वीकार करना आसान था? इस सवाल पर आयुष्मान ने बताया कि यूं तो उनके माता-पिता उनके डांस और बाकी आर्ट फॉर्म्स को लेकर बहुत बढ़ावा देते रहे हैं लेकिन फिर वो उन्हें ड्रैग के बारे में नहीं बता पाये हैं.
लेकिन इक्शकु के लिए ड्रैग उनकी निजी ज़िंदगी में कुछ अलग मुश्किलें लेकर आया.
"मेरे परिवार वालों को मेरी सेक्शुएलिटी और ड्रैग के बारे में पता है लेकिन मेरे पार्टनर को इससे बहुत दिक्कत हुई. क्योंकि उसे मैं औरत के रूप में पसंद ही नहीं था जबकि मैं ये सिर्फ स्टेज के लिए करता हूं, असल ज़िंदगी में नहीं. लेकिन उसने समझने से मना कर दिया और सालों का रिश्ता तोड़ कर चला गया."
Comments
Post a Comment