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चीन बनाम अमरीकाः व्यापार युद्ध में किसकी होगी जीत?

सोमवार से अमरीका की ओर से चीन पर लगाये गए नए टैरिफ़ प्रभावी हो गए हैं.
अमरीका ने चीन से जारी व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) के बीच एक बार फिर 200 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर 10 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाया है.
जिसका मतलब है कि अमरीका में चीन के लगभग आधे से ज़्यादा सामान इस टैरिफ़ से प्रभावित होंगे. इसमें लगभग 6,000 प्रोडक्ट शामिल हैं. इनमें हैंडबैग से लेकर कपड़े तक शामिल हैं.
लेकिन अमरीका के इन क़दमों पर चीन भी चुप रहने वाला नहीं है.
पलटवार करते हुए चीन भी 60 अरब डॉलर के अमरीकी सामानों पर 5 फ़ीसदी की जगह अब 10 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाएगा.
बीबीसी संवाददाता करिश्मा वासवानी अमरीका और चीन के बीच चल रहे इस व्यापार युद्ध की स्थिति जानने के लिए चीन की बड़ी स्टील पाइप कंपनी 'हेबी हुयांग स्टील पाइप' (एचएचएसपी) के कारखाने में पहुंचीं.
ये कारखाना राजधानी बीजिंग के बाहरी इलाक़े में स्थित है.चएचएसपी का ये कारखाना ख़ासकर अमरीका में भेजे जाने वाले उत्पादों का उत्पादन करता है.
लेकिन अमरीका की ओर से इस टैरिफ़ के ऐ
एचएचएसपी के सेल्स मैनेजर स्टीवन यू ने बीबीसी संवादताता को कारखाने का दौरा कराया. उन्होंने बताया, ''अमरीकी बाज़ारों में इस कारखाने के उत्पादों का एक छोटा हिस्सा ही जाता है. ऐसे में ये नए टैरिफ़ ज़्यादा परेशान नहीं करने वाले हैं.''
जब स्टीवन से अमरीका की ओर से चीन पर लगाए गए नए टैरिफ़ पर उनकी राय पूछी गई तो उन्होंने कहा, ''हम उन्हें अपना दम दिखा देंगे. ये कद़म चीन से ज़्यादा अमरीका को नुक़सान पहुंचाएगा. चीनी सरकार चुप नहीं बैठेगी.''
उन्होंने कहा, ''अमरीका के कई उद्योग चीन में फैले हुए हैं. अमरीका ने चीन में बड़ा निवेश किया है. अगर अमरीका चीन पर इस तरह के हमले करता है तो इसका बड़ा असर यहाँ (चीन) अमरीकी व्यापार पर भी पड़ेगा. हालांकि जिसकी जितनी प्रबल इच्छाशक्ति होगी वो इसमें जीतेगा लेकिन अभी के लिए चीन अपनी स्थिति पर काबू पाने में सक्षम है.''
जब भी अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को इस मामले पर बात करते सुना जाये तो एक ही बात सामने आती है कि चीन को तो अमरीका से फ़ायदा होता है लेकिन अमरीका का केवल नुक़सान ही होता है.
लेकिन चीन का रुख़ इसपर बेहद अलग है. 'सेंटर फ़ॉर चाइना एंड ग्लोबलाइज़ेशन' के अध्यक्ष वांग हेयू कहते हैं, ''पिछले चार दशकों से चीन और अमरीका के बीच कूटनीतिक रिश्ते स्थापित किए गए हैं. इस दौरान सभी बड़ी अमरीकी कंपनियाँ चीन में मौजूद हैं. कई कंपनियाँ तो अमरीका से ज़्यादा व्यापार चीन में ही करती हैं. आप यह नहीं कह सकते कि वह यहाँ सफ़ल नहीं हैं.''
उदाहरण देते हुए वो कहते हैं, ''विमान बनाने वाली कंपनी बोइंग दुनिया के किसी भी देश से ज़्यादा विमान चीन को बेचती है. इसके अलावा जनरल मोटर्स अमरीका से ज़्यादा कारें चीन में बेंचती है. आख़िर ये शिकायत क्यों है?''
चीन पर हमेशा से ये आरोप लगते रहते हैं कि वो नियमों का सही तरीक़े से इस्तेमाल नहीं करता. चीन को लेकर कहा जाता है कि वो विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) के तय मानक के मुताबिक़ तो व्यवहार करता है लेकिन वह सौदे के स्वभाव को पूरी तरह लागू नहीं करता.
इस सवाल पर वांग हेयू कहते हैं, ''अगर अमरीका खुश नहीं है तो वो अपनी शिकायतें दर्ज करा सकता है. लेकिन वे ऐसा करते ही नहीं हैं. चीन को विश्व व्यापार संगठन की ओर से कम शिकायतें मिलती हैं, अपेक्षाकृत अमरीका को ज़्यादा शिकायतें मिलती हैं.''
लेकिन आमतौर पर ये धारणा बन गई है कि चीन ने अमरीका को व्यापार में धोखा दिया है.
चीन स्थित 'अमरीकी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स' संगठन का कहना है कि चीन को अपने बाज़ार को विदेशी कंपनियों के लिए ईमानदारी और पूरी पारदर्शिता के साथ खोलना होगा.
वहीं यूरोपीय चैंबर ऑफ़ कॉमर्स ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि चीन 'सुधारों के घाटे' से जूझ रहा है.
चीन का अपने बाज़ार को विदेशी कंपनियों के लिए आधा-अधूरा खोलना चीन और अमरीका के व्यापार युद्ध की बड़ी वजह है.
चीन की अर्थव्यवस्था में ये व्यापार युद्ध एक बेहद नाज़ुक वक़्त लेकर आया है. पिछले कई सालों से तेज़ी दर्ज करने वाली यहाँ की अर्थव्यवस्था अब धीमी हो रही है.
बीबीसी संवादताता इस सिलसिले में और ज़्यादा जानकारी के लिए कम्यूनिकेशन यूनिवर्सिटी ऑफ़ चाइना पहुंचीं और छात्रों से बात की.
एक छात्र ने कहा, ''पिछले कुछ दशकों में चीन तेज़ी से आगे बढ़ा है. उसने लोगों के ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. इस कारण से अमरीका हमें दबाना चाह रहा है. चीन ने भी अमरीका पर पलटवार किया है और मुझे लगता है कि मेरा देश इस स्थिति का सामना करने में सक्षम है.''
चीन के अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने हाल ही में एक लेख मे लिखा था कि अमरीका चीन के तेजी से उभरने से जलता है.
दुनिया के देशों के बीच प्रचलित होते चीन को रोकने के लिए वह व्यापार युद्ध का सहारा ले रहा है.
इस लेख में आगे लिखा गया, ''अमरीका के कुछ कुलीन लोगों का मानना है कि चीन ने अपने आधुनिकीकरण में अमरीका के अनुभवों को चुराया है जो अमरीकी बौद्धिक सम्पदा के अधिकारों का उल्लंघन है.''
''अमरीका अपने राजनीतिक और सांस्कृतिक घमंड में फूला नहीं समाता लेकिन वो मानव विकास के इतिहास को समझने में ग़लती कर रहा है.''
ये एक नया और आत्मविश्वास से भरा चीन है जो अपनी आर्थिक सफलता को दुनियाभर को दिखाना चाहता है.
तमाम आलोचनाओं के बाद भी ऐसा प्रतीत होता है कि चीन ने सफलता के लिए कड़ी मेहनत की है और अमरीका के सामने समर्पण नहीं करेगा.
लेकिन चीन में इस व्यापार युद्ध को लेकर आम लोगों का मानना है कि अमरीका चीन को रोकने के लिए ऐसा कर रहा है.
लान से पहले ही कंपनी ने घोषणा कर दी थी कि वो नए ग्राहकों की तलाश में है.
एचएचएसपी के इस ऐलान का वक़्त काफ़ी सटीक रहा क्योंकि अब नए टैरिफ़ के ऐलान के बाद उसके उत्पाद 200 अरब डॉलर की सीमा में आएंगे.
कंपनी ने अमरीकी बाज़ारों में अपने काम के विस्तार को रोक दिया है और कंपनी का कहना है कि उसके पास अमरीकी बाज़ारों के आलावा कई अन्य विकल्प भी हैं.

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